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Showing posts from December, 2019

Yoga tips for bigginer

Being a beginner isn’t easy but my first yoga class was enough to make me a regular on the mat.  Half an hour into the session, I’d fallen four of times, felt sweaty and had almost made up my mind - not to give in. Every pose made me challenge my physical endurance and flexibility and I seemed to enjoy that, albeit gradually. While I moved through a progression of yoga asana from Surya Namaskar to Naukasana, all muscles in my body were engaged. Working my limbs, shoulders stretched, twisting my torso. I juggled between maintaining postures and attempting to breathe the right way. I had already dreamt of the hot bath or oil massage that I’ll head for but there was no need to. I felt light, relaxed and a sense of relief took over. Here's me telling you about yoga for beginners.  Some will tell you that yoga exercise is too slow and boring instead it is an intense and holistic exercise. This ancient form of fitness with roots in India focuses on developing balance, strength and fl

Sone Ka shi samye

Sone Ka shi samye  Namaskar doston Aaj mai aapko sone se related thody si jankari degu  , aapko sabhi ko pata he hamari subki jivan kitana vayath he, aap  sahi ko pta he sona hamri body ke liye kitana important he,jaisa ki hum sun jante he ki hume roj 6-8 hours sona chahi ,and hume din me bhi rest karna chahiye Hame raat ko lag bag 10 -11ke bich me so jana chahiye isse hamari body kisi tarah ka aalsh nhi aata our hum din bar active rahate he and hume din me bi 15-20mintus ki jhapki leni chahiye Sath hume subah uthkar yoga karna chahiye

ब्लड

ब्लड यानी खून एक ऐसी चीज है जिसे बनाया ही नहीं जा सकता। इसकी आपूर्ति का कोई और विकल्प भी नहीं है। यह इंसान के शरीर में स्वयं ही बनता है। कई बार मरीजों के शरीर में खून की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि उन्हें किसी और व्यक्ति से ब्लड लेने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसी ही इमरजेंसी स्थिति में खून की आपूर्ति के लिए लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करके, अनगिनत जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने के उद्देश्य से हर साल 14 जून को पूरे विश्व में 'रक्तदाता दिवस' मनाया जाता हैब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को इसमें कोई खास मुश्किल नहीं हैं। 9. आप 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकते हैं। 10. रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं।

kele khane ke fayde

 केला खाने के फायदे हममें से ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि केला मोटा बनाता है और इसी चिंता की वजह से हम केला खरीदना तक बंद कर देते हैं. पर जब आपको यह पता चलेगा कि केला खाना स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है तो आप यकीन नहीं कर पाएंगे. वजन बढ़ने की कई वजहें हो सकती हैं. ऐसा सिर्फ केवल केला खाने से नहीं हो सकता. कई बार मोटापे की वजह अनुवांशिक हो सकती है. कुछ मामलों में यह लाइफस्टाइल की वजह से भी होता है. आपका मोटापा केले के अलावा खाने में ली जाने वाली दूसरी चीजों और आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म पर भी निर्भर करता है. ऐसे में केले को मोटापे से जोड़कर देखना और इस वजह से उसे खाना छोड़ देना गलत होगा. आपको शायद ताज्जुब हो लेकिन केले का सेवन आपकी जिन्दगी को स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी बेहतर बना सकता है. इसके लिए आपको हर रोज केवल एक केला खाने की जरूरत है. 1. केले में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होते हैं जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं. अगर आप रोजाना केले का सेवन कर रहे हैं तो आपकी पाचन क्रिया अच्छी रहेगी. 2. हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामन बी6 की आवश्यकता होती है ताकि हिमोग्लोबि

yoga history

योग का उपदेश सर्वप्रथम हिरण्यगर्भ ब्रह्मा ने सनकादिकों को, पश्चात विवस्वान (सूर्य) को दिया। बाद में यह दो शाखाओं में विभक्त हो गया। एक ब्रह्मयोग और दूसरा कर्मयोग। ब्रह्मयोग की परम्परा सनक, सनन्दन, सनातन, कपिल, आसुर‍ि, वोढु और पच्चंशिख नारद-शुकादिकों ने शुरू की थी। यह ब्रह्मयोग लोगों के बीच में ज्ञान, अध्यात्म और सांख्‍य योग नाम से प्रसिद्ध हुआदूसरी कर्मयोग की परम्परा विवस्वान की है। विवस्वान ने मनु को, मनु ने इक्ष्वाकु को, इक्ष्वाकु ने राजर्षियों एवं प्रजाओं को योग का उपदेश दिया। उक्त सभी बातों का वेद और पुराणों में उल्लेख मिलता है। वेद को संसार की प्रथम पुस्तक माना जाता है जिसका उत्पत्ति काल लगभग 10000 वर्ष पूर्व का माना जाता है। पुरातत्ववेत्ताओं अनुसार योग की उत्पत्ति 5000 ईपू में हुई। गुरु-शिष्य परम्परा के द्वारा योग का ज्ञान परम्परागत तौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलता रहा।कई हजार वर्ष पहले, हिमालय में कांति सरोवर योग का उपदेश सर्वप्रथम हिरण्यगर्भ ब्रह्मा ने सनकादिकों को, पश्चात विवस्वान (सूर्य) को दिया। बाद में यह दो शाखाओं में विभक्त हो गया। एक ब्रह्मयोग और दूसरा कर्मयोग। ब्